42 दिन, 42 सरेंडर, अमित शाह की डेडलाइन से पहले ही नक्सलियों का दि एंड!

लाल गलियारा, जो कभी देश की सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौती था. आज इतिहास बनने की कगार पर है. बंदूकें खामोश हैं, कमांडर या तो मारे जा चुके हैं या आत्मसमर्पण कर चुके हैं और जंगल अब डर की नहीं, नए भारत की कहानी सुनाने लगे हैं.